भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात से राज्यसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है जिसके लिए नामांकन भर दिया है। अमित शाह ने नामांकन करते समय अपनी समपत्ति का ब्यौरा दिया। अमित शाह की संपत्ति के बारे में दिए गए ब्योरे को आप देख कर हैरान हो जायेंगे। दिए गए ब्योरे में अमित शाह की संपत्ति में पिछले 5 साल में 300 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। चौकाने वाली बात ये है की अमित शाह की संपत्ति में 300 फीसदी का इजाफा कैसे हुआ, जबकि देश में बेरोजगारी और महंगाई दिन व दिन बढाती जा रही है ऐसे में अमित शाह की सम्प्पति में 300 फीसदी का इजाफा चौकाने वाला है। गुजरात से राजयसभा के लिए नामंकर करने वाले और भी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस जैसी पार्टियों के नेता भी शामिल हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया है, लेकिन सबसे जायदा इजाफा अमित शाह की संपत्ति में हुआ है।
अमित शाह की संपत्ति में हुए 300 फीसदी के इजाफे को लेकर कई प्रिंट मीडिया संस्थानों ने अपनी वेबसाइट पर प्रमुखता से खबर छापी थी, मगर इससे पहले की ये खबर वायरल होती इसपर लोग चर्चा शुरू करते कुछ प्रमुख मीडिया संस्थानों ने जो कि खुद के राष्ट्रवादी, सबसे तेज, सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद, बेबाक मीडिया संस्थान होने का दवा करने वाले संस्थानों ने इस खबर को हटा दिया लिया। न्यूज़ टीवी चैनलों ने इस खबर को चलाया ही नहीं तो हटाने का कोई सवाल नहीं उठता। हालाँकि ये नहीं कह सकते कि अमित शाह की संपत्ति में हुए 300 फीसदी का इजाफे में गलत तरीके से कमाए हुए संपत्ति या ईमानदारी से कमाई हुई संपत्ति शामिल है मगर प्रमुख मीडिया संस्थानों द्वारा खबर को हटाए जाने से संपत्ति में 300 फीसदी के इजाफे को शक के घेरे में जरूर खड़ा कर दिया है। सवाल ये है कि यदि ये संपत्ति ईमानदार और पारदर्शी तरीके से कमाया गया है तो इससे जुडी खबर को हटावाने का कोई कारण नजर नहीं आता है।
सीनियर रिपोर्टर दिलीप खान ने जब नवभारत टाइम्स को टैग करके सोशल मीडिया पर पहले खबर छापने फिर हटाने पर सवाल किया तो नवभारत टाइम्स ने अपनी तरफ से सफाई देते हुए टाइम्स ऑफ़ इण्डिया पर ठीकरा फोड़ दिया।
कारण चाहे जो भी हो मगर हर बार की तरह इस बार भी भारतीय लोकतंत्र का चौथा सतम्भ कहे जाने वाले मीडिया पर सवाल उठाना शुरू हो गया है। सवाल ये है कि अगर खबर सही नहीं थी तो बिना उसकी सत्यता जांचे खबर पब्लिश करना मीडिया की सत्यता पर सवाल खड़ा करता है और यदि खबर सही है तो खबर छापने के बाद किसी के दबाव में खबर हटाना मीडिया की निष्पक्षता पर सवाल करता है।