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GST रेट से नाखुश है आयुर्वेदिक कम्पनियाँ

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आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स पर 12 पर्सेंट GST लगाने पर पतंजलि, डाबर समेत अन्य कम्पनियाँ नाखुश हैं। अभी के टैक्स स्लैब के हिसाब से आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स पर 5 पर्सेंट टैक्स लगता है मगर GST लागू होने के बाद ये टैक्स 5 पर्सेंट से बढ़कर 12 पर्सेंट हो जायेगा। जाहिर है कि इसका नुक्सान ग्राहक के साथ साथ विक्रेता को भी उठाना पड़ेगा। पतंजलि का कहना है कि आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स पर 12 पर्सेंट GST लगाने के फैसले पर विचार करने के लिए वह सरकार को पत्र लिख रही है।


नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक, पतंजलि आयुर्वेद के प्रवक्ता ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया की वह आम आदमी के हित में सरकार से आयुर्वेदिक कैटिगरी के लिए GST रेट पर दोबारा विचार करने का निवेदन कर रहे हैं। उन्हें कहा कि उनकी कंपनी मुनाफा कमाने के लिए नहीं, बल्कि आम आदमी के लिए किफायती दामों पर इलाज और देखभाल के लिए बिजनस कर रही है।


पतंजलि ने बताया था कि उसने पिछले फाइनैंशल इयर में 10,561 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया है। इसके साथ ही पतंजलि, हिंदुस्तान यूनिलीवर के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी कंज्यूमर गुड्स कंपनी बन गई है। पतंजलि ने कई नामी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है।


डाबर इंडिया ने भी आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स पर 12 पर्सेंट GST लगाने के सरकार के फैसले से कंपनी को निराशाजनक बताया है। आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियों का मानना है कि इससे सरकार द्वारा परंपरागत भारतीय वैकल्पिक चिकित्सा को बढ़ावा दिए जाने में उल्टा असर पड़ेगा।

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